खामखां की सांसत से बचने के लिए प्रधान ने अपने पंच बुलाए, मृतक के घर पहुँचकर सभी को डपटा। प्रधान ने पहले तो घुड़कियां दीं फिर न्याय की बात की। क्योंकि पिछले दो तीन सालों की मग्घे की मजदूरी दस हजार से भी ज्यादा निकल रही थी। बैठे-बिठाए मजदूरी का कमीशन तय था, साठ फीसदी प्रधान का, बीस फीसदी बैंक वालों का, दस फीसदी सरकारी बाबुओं का और दस फीसदी उसका जिसके नाम का जॉब कार्ड हो, यानी मजदूरी उठाने वाले मग्घे का।
खामखां की सांसत से बचने के लिए प्रधान ने अपने पंच बुलाए